अपनी भावनाओं को शब्दों में प्रस्तुत करने का कविता एक उत्तम माध्यम है। और कुछ रचनाएँ ऐसी होती हैं कि कभी-कभी पाठक के मन में अपनी छाप छोड़ ही जाती हैं। एक ऐसी ही सुन्दर एवं शक्तिपूर्ण कविता है - 'कारवाँ गुज़र गया', जिसकी रचना कवि श्री गोपालदास नीरज ने की है। अपने जीवन को लेकर, अपनी प्रगति हेतु, प्रत्येक व्यक्ति के मन में बहुत से सपने और इच्छाएँ होती हैं। समय व्यतीत होता है, आयु बढ़ती है, मनुष्य बच्चे से युवा हो जाता है, और युवा से वृद्ध। एक दिन ऐसा आता है जब वह अपने आप को अकेला और थका-मांदा महसूस करता है। और सोचता है कि, वह इच्छाएँ, वह सपने, जो उसने बचपन में देखे थे, कभी पूरे ही न हो सके। कवि गोपालदास नीरज ने मनुष्य की इसी भावना को बड़ी ही सुंदरता से कविता में उतार है। प्रस्तुत है -
कारवाँ गुज़र गया